विवेकानंद और विज्ञान

NYCS    09-Dec-2017
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आधुनिक भारत के एक महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तिमत्व के रुप में यदि किसी को याद किया जाता है तो वो हैं स्वामी विवेकानंद | उनके सिद्धांत, अलौकिक विचार और आदर्श जिनका स्वयं पालन करते हुए उन्होंने समाज और समूचे देश में भी उन्हें स्थापित किया वह विचार आज भी युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। ईसवीं सन १९५० में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री. जवाहरलाल नेहरु ने अपने एक भाषण में स्वामी विवेकानंद के विचारों की चिर-प्रासंगिकता का वर्णन करते हुए कहा था कि “स्वामी विवेकानंद की रचनाएँ या व्याख्यान कभी पुराने नहीं लगते, उनकी कथानियाँ हमारी तथा विश्व की मूलभूत पहलुओं से संबंधित हैं इसीलिए वह आज भी नई और कालसंगत लगती हैं” | पंडित जी को इस बात को कहे सात दशक होने को आए और जिस प्रेरणास्त्रोत की बात वह कर रहे थे उसके विलीन होने को अब सौ वर्ष से भी ऊपर हो गए हैं मगर सचमुच आज के इस विज्ञान युग में भी स्वामीजी की दार्शनिकता संपूर्णतः प्रासंगिक है|